Bismillahirrahmanirrahim
अज़कार बाद अस-सलाह – Azkar After Salah – नमाज़ के बाद के अज़कार
अज़कार विडियो :
https://youtu.be/abz7uccxK3c
1✦ एक बार اللّهُ أَكبَر अल्लाहू अकबर पढ़ना
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✦ इब्न अब्बास रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है आप सलअल्लाहू अलैहि वसल्लम की नमाज़ को मुकम्मल होना तकबीर (अल्लाह हू अकबर) की वजह से समझ जाते थे (यानी आप सलअल्लाहू अलैहि वसल्लम नमाज़ के बाद अल्लाहू अकबर पढ़ते थे)
सही बुखारी , 842
2 ✦ तीन बार अस्तागफीरुल्लाह أَسْتَغْفِرُ اللَّه पढ़ना
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✦ रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम जब अपनी नमाज़ से फारिग होते तो 3 बार अस्तगफार पढ़ते
(अस्तगफीरुल्लाह, अस्तगफीरुल्लाह, अस्तगफीरुल्लाह)
सही मुस्लिम, जिल्द 2, 1334
3 ✦ रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम जब अपनी नमाज़ से फारिग होते तो 3 बार अस्तगफार पढ़ते और उसके बाद ये दुआ पढ़ते
اللَّهُمَّ أَنْتَ السَّلاَمُ وَمِنْكَ السَّلاَمُ تَبَارَكْتَ يَا ذَا الْجَلاَلِ وَالإِكْرَامِ
✦अल्लाहुम्मा अन्तस सलाम वा मिनकस-सलाम. तबारकता या ज़ल-जलाली वल-इकराम.
या अल्लाह तू ही अस-सलाम है और सलामती तेरी ही तरफ से है, तू बरकत वाला है, एह जलाल वाले और ईज्ज़त बख्शने वाले
सही मुस्लिम, जिल्द 2, 1334
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4 ✦ : मैं तुम्हे वसीयत करता हूँ की हर नमाज़ के बाद इस दुआ को पढ़ना ना छोड़ना
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✦ मुआज़ बिन जबल रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने मेरा हाथ पकड़ कर फरमाया अल्लाह की कसम मैं तुमसे मुहब्बत करता हूँ और फ़रमाया एह मुआज़ मैं तुम्हे वसीयत करता हूँ की हर नमाज़ के बाद इस दुआ को पढ़ना ना छोड़ना
اللَّهُمَّ أَعِنِّي عَلَى ذِكْرِكَ وَشُكْرِكَ وَحُسْنِ عِبَادَتِكَ
अल्लाहुम्मा आइन्नी अला ज़िकरीका वा शुकरिका वा हुसनि ईबादतीका
(तर्जुमा : या अल्लाह , मेरी मदद कर तेरा ज़िक्र करने में , और तेरा शुक्र अदा करने में और तेरी अच्छी इबादत करने में )
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 1, 1509-सही
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5 ✦ रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम जब हर नमाज़ के बाद सलाम फेरते तो ये कहते
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لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ، وَحْدهُ لاَ شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ، وَلَهُ الْحَمْدُ، وَهْوَ عَلَى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ، اللَّهُمَّ لاَ مَانِعَ لِمَا أَعْطَيْتَ، وَلاَ مُعْطِيَ لِمَا مَنَعْتَ، وَلاَ يَنْفَعُ ذَا الْجَدِّ مِنْكَ الْجَدُّ
✦ ला इलाहा इलअल्लाहु वाहदाहू ला शारिका लहू लहुल मुल्क , वा लहुल हम्द वा हुवा अल कुल्ली शयईन क़दीर अल्लाहुम्मा ला मानीअ लिमा आतयता, वा ला मुअतीया लीमा मनाअता वा ला यानफऊ ज़ाअल जद्दा मिनकल जद्द.
✦ अनुवाद : अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही है ,वो तन्हा है उसका कोई शरीक नही , मुल्क उसी के लिए है, और उसी के लिए तमाम तारीफें हैं और वो हर चीज़ पर क़ुदरत रखने वाला है,एह अल्लाह जो कुछ तू देना चाहे उसे कोई रोकने वाला नही, और जो कुछ तू रोकना चाहे उसे कोई देने वाला नही और तेरे सामने दौलत वालों की दौलत कुछ काम नही आ सकती
सही बुखारी, जिल्द 8, 6615
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6 ✦:रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैहि वसल्लम हर नमाज़ के बाद ये कलीमात पढ़ा करते थे
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لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَحْدهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ، لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللهِ، لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ،وَلَا نَعْبُدُ إِلَّا إِيَّاهُ، لَهُ النِّعْمَةُ وَلَهُ الْفَضْلُ، وَلَهُ الثَّنَاءُ الْحَسَنُ، لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ مُخْلِصِينَ لَهُ الدِّينَ وَلَوْ كَرهَ الْكَافِرُونَ
ला इलाहा ईलअल्लाहु वाहदाहू ला शरीका लहू, लहुल-मूल्कू, वा लाहुल-हम्दु वा हुवा आला कुल्ली शय इन क़दीर
ला हौला वा ला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह, ला 'इलाहा ईलअल्लाहु, वा ला नाअबुदू इल्ला इय्याह, लहू-अन्नैमतु वा लाहुल-फ़जल, वा लाहूस्सना उल-हसन, ला 'इलाहा ईलअल्लाहु मुख़लिसिना लहुद-दीना वा लव कारिहल-काफिरून.
✦ अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही वो तन्हा है उसका कोई शरीक नही , मुल्क उसी के लिए है, और उसी के लिए तमाम तारीफें हैं और वो हर चीज़ पर कुदरत रखने वाला है, अल्लाह की मदद के बगैर गुनाह से बचने की ताक़त और नेकी करने की क़ुव्वत नही अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही और हम सिर्फ़ उसी की इबादत करते हैं ,उसी की तरफ़ से इनाम है और उसी के लिए फ़ज़ल है और उसी के लिए बेहतरीन हम्द है अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही , हम उसी के लिए बंदगी को खालिस करने वाले हैं, चाहे काफ़िर उसको बुरा माने
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 1, 1493-सही
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7✦ जो हर नमाज़ के बाद ये आजकर पढ़े तो उसके गुनाह बख़्श दिए जाते हैं चाहे समुंदर के झाग के बराबर क्यूँ ना हो
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रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जो हर नमाज़ के बाद 33 बार सुबहानअल्लाह, 33 बार अलहम्दुलिल्लाह, 33 बार अल्लाहु अकबर कहे
तो ये 99 कलमे होंगे और उसको ये कहकर 100 कर ले (1 बार)
لا اِلهَ اِلَّا اللّهُ وَحْدَهُ لا شَرِيكَ لَهُ ، لَهُ الْمُلْكُ وَ لَهُ الْحَمْدُ وَ هُوَ عَلَى كُلِّشَيْءٍ قَدِيرٌ
ला ईलाहा ईलअल्लाह वाह्दहू ला शरीका लहू, लहू-ल-मुल्क वा लहू-ल-हम्द
वा हुवा आला कुल्ली शै'इन क़दीर
तो उसके गुनाह बख़्श दिए जाते हैं चाहे समुंदर के झाग के बराबर क्यूँ ना हो
सही मुस्लिम, जिल्द 2, 1352
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8 ✦ हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद आयात अल कुर्सी पढने की फ़ज़ीलत
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✦ अबू उमामा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिस शख्स ने हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद आयत अल कुर्सी पढ़ी तो जन्नत और उसके दरमियाँ मौत के सिवा कोई और चीज़ रुकावट नही (यानी मौत के बाद उसको जन्नत नसीब होगी)
अल-सिलसिला-अस-सहिहा हदीस – 749-सही , सुनन अल कुबरा , 9848-सही
أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْمِ
اللَّهُ لَا إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ لَا تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلَا نَوْمٌ لَّهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ مَن ذَا الَّذِي يَشْفَعُ عِندهُ إِلَّا بِإِذْنِهِ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ
وَلَا يُحِيطُونَ بِشَيْءٍ مِّنْ عِلْمِهِ إِلَّا بِمَا شَاءَ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَلَا يَئُودهُ حِفْظُهُمَا وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيم
अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवल हय्युल क़य्यूम, ला ताख़ुज़ुहू सीनातुन वाला नौम
लहू मा फ़ीस समावाति वा मा फिल अर्द, मन ज़ल लज़ी यशफऊ इन्दहू इल्ला बि-इज़्निह,
याअलमु मा बयना अय्दीहीम वा मा ख़ल'फ़हुम, वा ला युहीतूना बिशयईन मिन इल्मिह
इल्ला बिमा शाअ, वसीया कुर्सीहुस सामावती वल अर्द वा ला याऊदूहू हिफ़ज़ूहूमा,
वा हुवल अ'लिय्युल अ'ज़ीम.
अल कुरान सुरह अल-बकरा (2), आयत 255
तर्जुमा : अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं , जिंदा हमेशा रहने वाला ,
उसको ना ऊंघ आती है ना नींद , जो कुछ आसमानों में और जो कुछ ज़मीन में है
सब उसी का है ,कौन है जो उसकी इजाज़त के बगैर उस से सिफारिश कर सके,
जो कुछ लोगों के रूबरू (सामने) हो रहा है और जो कुछ उनके पीछे हो चूका है
उसे सब मालूम है , और वो उसके मालूमात में से किसी चीज़ पर दस्तरस हासिल
नहीं कर सकते मगर जितना के वो चाहे ,उसकी बादशाहत आसमान और ज़मीन सब पर हावी है , और उसे उनकी हिफाज़त कुछ भी दुशवार नहीं ,
वो बड़ा आली रुतबा और जलील और क़दर है
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9 ✦ ये तीन सुरह तुम्हें हर चीज़ के लिए काफ़ी हो जाएगी
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✦ अब्दुल्लाह बिन खुबेब रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया सुबह और शाम 3 बार सुरह अल-इख्लास और सुरह अल-फलक़ और सुरह अन-नास पढ़ लिया करो , ये तुम्हें हर चीज़ के लिए काफ़ी हो जाएगी ( यानि हर तरह की परेशानियो से बचने के लिए ये काफी हैं)
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 1643-हसन
✦ उक़बा बिन आमिर रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया हर नमाज़ के बाद आखरी तीन सुरह यानि सुरह अल-इख्लास और सुरह अल-फलक़ और सुरह अन-नास पढ़ा करो
अल सिलसिला अस-सहीहा , 2776
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْمِ
قُلْ هُوَ اللَّـهُ أَحَدٌ، اللَّـهُ الصَّمَدُ، لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ، وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ
क़ुल हूवल्लाहू अहद, अल्लाहुस-समद , लाम यालिद वालाम युलद,
वालाम याकुल-लहू कुफ़ुवन अहद
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अल क़ुरान : कह दो वो अल्लाह एक है, अल्लाह बेनीयाज़ है, ना उसकी कोई औलाद है और ना वो किसी की औलाद है, और उसके बराबर का कोई नही है
अल क़ुरान , सुरह अल-इख्लास (112)
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بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْمِ
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ، مِن شَرِّ مَا خَلَقَ، وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ،وَمِن شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ، وَمِن شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ
क़ुल आऊजू बिरब्बिल फलक, मीन शर्री मा खलक़
वा मीन शर्री गासीकीन ईज़ा वाक़ब वा मीन शर्रिन नफ्फासाती फील उक़द
वा मीन शर्री हासीदीन ईज़ा हसद
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अल क़ुरान : कह दो मैं सुबह के रब्ब की पनाह माँगता हूँ,
उसकी मखलक़ात की बुराई से, और अंधेरी रात की बुराए से जब वो
और गिरहों (गांठों) में फूँकने वालियों की बुराई से,
और हसद करने वालों की बुराई से जब वो हसद करे
सुरह अल-फलक़ (113) , आयात 1-5
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْمِ
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ، مَلِكِ النَّاسِ، إِلَـٰهِ النَّاسِ، مِن شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ، الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ، مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ
क़ुल आऊजू बिराब्बिन-नास मालिकिन- ईलाहीन-नास
मीन शर्रिल वसवासिल खन्नास अल-लज़ी युवासविसू फ़ी सूदुरिन-नास
मिनल जिन्नती वान-नास
अल क़ुरान : कह दो मैं लोगो के रब की पनाह में आया, लोगो के बादशाह की,
लोगों के माबूद की, उस शैतान की बुराई से जो वसवसे डाल कर छुप जाता है,
जो लोगों के सीनो में वसवसे डालता है, जिन्नों और इंसानो में से
अल क़ुरान , सुराह अन-नास (114) , आयत 1-6
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10 ✦ हदीस : जो फज्र की नमाज़ के बाद इस अज़कार को पढ़ेगा उस दिन हर बुराई से मेहफूज़ रहेगा, और उसको शैतान की पहुँच से दूर कर दिया जाएगा
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لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَحْدَهُ لاَ شَرِيكَ لَهُ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ يُحْيِي وَيُمِيتُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
✦ ला ईलाहा इल अल्लाह वाहदहू ला शरीका लहू, लहुल-मुल्क वा लहुल-हम्द, यूही वा युमीत वा हुवा अला कुल्ली शयइन क़दीर
✦ तर्जुमा : अल्लाह के सिवा कोई सच्चा माबूद नही है वो अकेला है और उसका कोई शरीक नही , उसी के लिए लिए बादशाहत है और उसी के लिए तारीफ है वो ही ज़िंदा करता है और वो ही मारता है और वो हर चीज़ पर क़ादिर है
✦ अबू ज़र् रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जो शख्स फज्र की नमाज़ के बाद दो ज़ानू होकर बैठा रहे (जिस तरह तशाहुद में बैठता है ) और किसी से बात किए बगैर 10 बार ये पढ़े तो उसके लिए 10 नेकिया लिख दी जाएँगी , 10 गुनाह माफ़ कर दिए जाएँगे, 10 दरजात बुलंद किए जाएँगे, और उस दिन हर बुराई से मेहफूज़ रहेगा, और उसको शैतान की पहुँच से दूर कर दिया जाएगा और उसको उस दिन अल्लाह के साथ शिर्क के अलावा कोई गुनाह हलाक़ नही कर सकेगा
जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 2, 1399-हसन
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11 ✦: जो मगरिब की नमाज़ के बाद 10 बार इसको पढ़े तो अल्लाह सुबहानहु उसकी हिफाज़त के लिए फ़रिश्ते भेजेगा
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لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَحْدهُ لاَ شَرِيكَ لَهُ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ يُحْيِي وَيُمِيتُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
✦ ला ईलाहा इल अल्लाह वाहदहू ला शरीका लहू, लहुल-मुल्क वा लहुल-हम्द, यूही वा युमीत वा हुवा अला कुल्ली शयइन क़दीर
✦ तर्जुमा : अल्लाह के सिवा कोई सच्चा माबूद नही है वो अकेला है और उसका कोई शरीक नही , उसी के लिए लिए बादशाहत है और उसी के लिए तारीफ है वो ही ज़िंदा करता है और वो ही मारता है और वो हर चीज़ पर क़ादिर है
✦ उमाराह बिन शबिब रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो शख्स मगरिब के बाद 10 बार ये पढ़े तो अल्लाह सुबहानहु उसकी हिफाज़त के लिए फ़रिश्ते भेजेगा जो सुबह तक शैतान से उसकी हिफाज़त करेंगे उसके लिए 10 रहमत की नेकिया लिख दी जायेगीं , उसके 10 बर्बाद करने वाले गुनाह मिटा दिए जायेंगे और 10 मुसलमान गुलाम आज़ाद करने का सवाब अता किया जायेगा
जामी तिरमिज़ी , जिल्द 2, हदीस 1457 - हसन
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12 ✦ फज्र की नमाज़ के बाद पढ़ने की दुआ
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✦ उम्म सलमा रदी अल्लाहु अन्हा से रिवायत है की रसूल अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम जब सुबह की नमाज़ में सलाम फेरते तो उसके बाद ये दुआ पढ़ते
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ عِلْمًا نَافِعًا، وَرِزْقًا طَيِّبًا، وَعَمَلًا مُتَقَبَّلًا
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका इल्मन नाफिया , वा रिज़क़न तय्यबा वा अमलन मुतक़ब्बला
एह अल्लाह मैं तुझसे ऩफा देने वाले इल्म और पाकीज़ा रिज़क़ और क़ुबूल होने वाले अमल का सवाल करता हूँ
सुनन इब्न माजा , जिल्द 1, 925-सही
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